तुमसे मुहब्बत है।

बस तुमसे इतना ही कहना चाहता हूं कि
हाँ, तुमसे मुहब्बत है। 

कभी कम कभी ज्यादा रहा है एहसास इसका
पर ये तोह तय है कि तुमसे मुहब्बत है। 

कई बार कोशिशें किं की तुम्हें बात सकूँ
कि कितनी तुमसे मुहब्बत है।

कई दफ़े नाराज़गी के दौर हुए,
पर कभी नाराज़ ज्यादा रह न सका,
तुम्हें खोने का ज़िक्र भी नकार दिया,
क्यूंकि तुमसे मुहब्बत है।

कई बातें तुमसे कहने की हुईं,
पर कभी कह न सके,
आज भी कोशिश की थी
पर रह ही गए,
सोचता हूँ कि ऐसा क्यूँ है,
शायद इसलिए कि
तुमसे मुहब्बत है।

ज़माने भर से छुपते छुपाते रहे,
बेमतलब ही हम शर्माते रहे,
आज भी कोई ज्यादा न हुआ है,
बस खुमारी में कुछ उन्स हुआ है,
अब किससे कितना छुपाते फिरें
लो आज कह देते हैं,
की तुमसे मुहब्बत है।

बड़ी बड़ी बातें कहने को जी चाहता है,
कुछ कर गुज़र जाने को जी चाहता है,
ये सब तुमसे बताने को जी चाहता है,
इसीलिए की तुमसे मुहब्बत है।

हज़ार शिकवे तुम्हारे,
हज़ारों गलतियां मेरी,
तमाम जुर्ररतें तुम्हारी,
कई अल्फ़ाज़ भी मेरे, 
दिल ए नादां को मनाते,
उसे बस इतना बताते,
क्यों पाली इतनी फ़ज़ीहत है,
क्योंन कहते कि मुहब्बत है।

आज बस इतना है कहना,
तुम्हारी हर खुशी हर बात,
तुम्हारी हर हँसी-जज़्बात,
कुदरत की इनायत है, 
बड़े गुमां से है कहना,
की तुमसे मुहब्बत है।



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